Thursday 21 July 2016

गुर्दे की पथरी का इलाज (treatment of kidny stone)

गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली, नेफरोलिथियासिस) (अंग्रेजी:Kidney stones) मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर सदृश कठोर वस्तुओं का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं , किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं ( २-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।

यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। आज भारत के प्रत्येक 2000 परिवारों में से एक परिवार इस पीड़ादायक स्थिति से पीड़ित है, लेकिन सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका इलाज करवाते हैं। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं।
गुर्दे की पथरी के कारण
किसी पदार्थ के कारण जब मूत्र सान्द्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पथरी निर्मित होने लगती है। इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में तब्दील हो जाते है। इसके लक्षण जब तक दिखाई नहीं देते तब तक ये मूत्रमार्ग में बढ़ने लगते है और दर्द होने लगता है। इसमें काफी तेज दर्द होता है जो बाजू से शुरु होकर उरू मूल तक बढ़ता है।तथा रोजाना भोजन करते समय उनमें जो कैल्शियम फॉस्फेट आदि तत्व रह जाते हैं, पाचन क्रिया की विकृति से इन तत्वों का पाचन नहीं हो पाता है। वे गुर्दे में एकत्र होते रहते हैं। कैल्शियम, फॉस्फेट के सूक्ष्म कण तो मूत्र द्वारा निकलते रहते हैं, जो कण नहीं निकल पाते वे एक दूसरे से मिलकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। पथरी बड़ी होकर मूत्र नली में पहुंचकर मूत्र अवरोध करने लगती है। तब तीव्र पीड़ा होती है। रोगी तड़पने लगता है। इलाज में देर होने से मूत्र के साथ रक्त भी आने लगता है जिससे काफी पीड़ा होती है। तथा लंबे समय तक पाचन शक्ति ठीक न रहने और मूत्र विकार भी बना रहे तो गुर्दों में कुछ तत्व इकट्ठे होकर पथरी का रूप धारण कर लेते हैं।
किसी प्रकार से पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व किसी एक स्थान पर रुक जाते है,चाहे वह मूत्राशय हो,गुर्दा हो या मूत्रनालिका हो,इसके कई रूप होते है,कभी कभी यह बडा रूप लेकर बहुत परेशानी का कारक बन जाती है,पथरी की शंका होने पर किसी प्रकार से इसको जरूर चैक करवा लेना चाहिये ! नए वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर चिकित्सा विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण किडनी में पथरी की समस्या में आम तौर पर तेजी से वृद्धि होगी। कुछ खास क्षेत्रों में यह समस्या बहुत तेजी से बढ़ेगी। इन क्षेत्रों को ‘किडनी स्टोन बेल्ट’ का नाम दिया गया है।
गुर्दे की पथरी के लक्षण
पीठ के निचले हिस्से में अथवा पेट के निचले भाग में अचानक तेज दर्द, जो पेट व जांघ के संधि क्षेत्र तक जाता है। दर्द फैल सकता है या बाजू, श्रोणि, उरू मूल, गुप्तांगो तक बढ़ सकता है, यह दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बना रहता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता है। दर्दो के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी होने की शिकायत भीहो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं ; बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है। अंडकोशों में दर्द, पेशाब का रंग असामान्य होना। गुर्दे की पथरी के ज्यादातर रोगी पीठ से पेट की तरफ आते भयंकर दर्द की शिकायत करते हैं। यह दर्द रह-रह कर उठता है और कुछ मिनटो से कई घंटो तक बना रहता है इसे ”रीलन क्रोनिन” कहते हैं। यह रोग का प्रमुख लक्षण है, इसमें मूत्रवाहक नली की पथरी में दर्दो पीठ के निचले हिस्से से उठकर जांघों की ओर जाता है।
गुर्दे की पथरी के प्रकार
  • सबसे आम पथरी कैल्शियम पथरी है। पुरुषों में, महिलाओं की तुलना में दो से तीन गुणा ज्यादा होती है। सामान्यतः 20 से 30 आयु वर्ग के पुरुष इससे प्रभावित होते है। कैल्शियम अन्य पदार्थों जैसे आक्सलेट(सबसे सामान्य पदार्थ) फास्फेट या कार्बोनेट से मिलकर पथरी का निर्माण करते है। आक्सलेट कुछ खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है।
  • पुरुषों में यूरिक एसिड पथरी भी सामान्यतः पाई जाती है। किस्टिनूरिया वाले व्यक्तियों में किस्टाइन पथरी निर्मित होती है। महिला और पुरुष दोनों में यह वंशानुगत हो सकता है।
  • मूत्रमार्ग में होने वाले संक्रमण की वजह से स्ट्रवाइट पथरी होती है जो आमतौर पर महिलाओं में पायी जाती है। स्ट्रवाइट पथरी बढ़कर गुर्दे, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय को अवरुद्ध कर सकती है।
  •  
    गुर्दे की पथरी से निजात पाने के कुछ कारगर घरेलू उपाय 
    1. अंगूर का सेवन करें : अंगूर गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में उत्कृष्ट रूप से कार्य करता है क्योंकि इनमें पोटेशियम नमक  और पानी भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर में अलबूमीन और सोडियम क्लोराइड बहुत हीं कम मात्रा में होते हैं जिनकी वजह से इन्हें गुर्दे की पथरी के उपचार के लिए बहुत हीं उत्तम माना जाता है। 

    2. प्याज (कांदा) खाएं : प्याज में गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। अगर आप सही ढंग से इस घरेलू उपचार का पालन करेंगे तो आपको इसका हैरान कर  देने वाला परिणाम मिलेगा। आपको इसका रस पीना है लेकिन पके हुए प्याज का। इसके लिए आप दो मध्यम आकर के प्याज लेकर  उन्हें अच्छी तरह से छिल लें। फिर एक बर्तन में एक ग्लास पानी डालें और दोनों प्याज को मध्यम आंच पर उसमें पका लें।   जब वे  अच्छी तरह से पक जाये तो उन्हें ठंढा होने दें फिर उन्हें ब्लेंडर में डालकर अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें। तत्पश्चात उनके रस को छान लें एवं इस रस का तीन दिनों  तक लगातार सेवन करते रहे। यह घरेलू उपाय राम बाण का काम करता है और दूसरे दिन से हीं गुर्दे की पथरी को बाहर निकालना शुरू कर देता है
    3. विटामिन बी 6 लिया करें 
      विटामिन बी 6 गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं प्रभावकारी साबित होता है।
      अगर विटामिन बी -6 को विटामिन  बी ग्रुप के  अन्य विटामिन  के साथ  सेवन किया जाये तो  गुर्दे की पथरी के इलाज में काफी सहायता मिलती है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में  पाया है कि इस बी विटामिन की 100 से 150 मिलीग्राम की एक दैनिक खुराक गुर्दे की  पथरी की चिकित्सीय  उपचार में बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह विटामिन मष्तिष्क सम्बन्धी विकारों को भी दूर  करता है।




    Tuesday 19 July 2016

    5 आदतें खाने की आपके दिल के लिये है खतरा

    एक ही टाइप का तेल इस्‍तमाल करना 
    हमारे अंदर आदत है कि हम एक ही तेल को जिंदगी भर यूज़ करते हैं। मगर हमें ऐसा नहीं करना चाहिये। हमें हर तीन महीने में अपना तेल बदल लेना चाहिये जिससे हमें अन्‍य तेलों में मौजूद पोषण भी खाने को मिले। इससे हमारे हृदय को स्‍वस्‍थ रखने में मदद मिलती है।

    खाने के बाद मिठाई खाना 
    खाना खाने के बाद मीठा खाने से ब्‍लड ग्‍लूकोज़ लेवल बढ़ जाता है और मधुमेह होने के चांस बढ़ते हैं। इस वजह से हार्ट की बीमारी होने का खतरा होता है क्‍योंकि मीठे में फैट और शुगर होता है। हांलाकि खाना खाने के बाद डार्क चॉकलेट का एक टुकड़ा आपके दिल को तंदुरूस्‍ट बना सकता है क्‍योंकि इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट हेाता है। 

    खाने में ज्‍यादा मसाला डालना 

    खाने के साथ हरी मिर्च खाना तो मोटापे से छुटकारा दिला सकता है लेकिन वहीं अगर खाने में तेज लाल मिर्च पावडर का इस्‍तमाल किया गया, तो यह दिल की बीमारी पैदा कर सकता है।


    ब्रेकफास्‍ट में ऑइली फूड खाना 

    अगर आप ब्रेकफास्‍ट में घी से बने पराठे या तले हुए समोसे या वड़े खाते हैं तो अभी से संभल जाएं। सुबह सुबह ऑइली खाने से पेट पर काफी असर पड़ता है और साथ्‍ज्ञ ही कैलोरी भी बढ़ती है। 

    नियमित नॉन वेज खाना 
    हमें शाकाहारी खाना ही खाना चाहिये क्‍योंकि इसमें ढेर सारा पोषण होता है और कम संतृप्त वसा होता है। वहीं नॉन वेज में खासतौर पर लाल मीट तो हार्ट के रोगियों को बिल्‍कुल भी नहीं खाना चाहिये। आप चाहें तो चिकन और मछली खा सकते हैं क्‍योंकि उसमें ओमेगा 3 फैट और प्रोटीन पाए जाते हैं। 


    Monday 18 July 2016

    वजन बढ़ाने के आसान टिप्स

    आजकल ज्यादातर लोग अपने शरीर का वजन घटाने के लिए अनेक प्रयोग कर रहे है पर साथ ही कुछ लोग ऐसे भी है जिनका वजन कम होने के कारण उन्हें अनेक ऐसे उपाय करने पड़ते है जिनकी मदद से वे वजन बढ़ा सकें. वजन घटाने की तरह वजन बढ़ाना भी आसान नहीं होता. इसके लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में अनेक प्रकार के बदलाव करने पड़ते है. वजन बढ़ाने के लिए आप संतुलित आहार का सेवन कीजिए, इसके अलावा अपनी दिनचर्या में व्‍यायाम और योग को शामिल कीजिए. जिससे शरीर तो स्वस्थ रहता ही है साथ ही दुबलेपन से भी छुटकारा मिल जाता है.

    भरपूर नींद लें भरपूर नींद लेना भी हमारे लिए बहुत आवश्यक है. हर रोज कम से कम 8 घंटे की गहरी नींद अवश्य ले. भरपूर नीद लेने से  हमारे शरीर में नयी कोशिकाएं बनती है और पुरानी कोशिकाएं नए कोशिकाओ में तब्दील हो जाती है. भरपूर नीद लेने से शरीर स्वस्थ रहता है साथ ही दुबलेपन से भी मुक्ति मिलती है.
    व्यायाम के लाभ – एक्‍सरसाइज करने से हमारे शरीर में मौजूद कैलोरी सही मात्रा में हमारे शरीर के अंगो में बंट जाती है. जो वजन बढ़ाने सहायक होती है. व्यायाम करने से कोलेस्ट्रोल और शरीर की मांसपेशियां भी अच्छी तरह बढती है, भूख खुलती है जिस कारण खाना भी अच्छी तरह से पचता है व शरीर स्वस्थ रहता है. तथा दुबलेपन से राहत मिलती है.

    रोजाना पानी अधिक मात्रा में पिए – पानी हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक है. इसलिए प्रतिदिन करीब 2 लीटर पानी पिए. इससे शरीर में मौजूद बिषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते है और भोजन का पाचन भी अच्छी तरह से होता है. जिससे कमजोरी महसूस नहीं होता तथा वजन बढ़ने लगता है.
    तनाव से दूर रहे – तनाव कई बीमारियों का कारण है, क्योंकि जब व्यक्ति तनाव में रहता है तब वह अपने शरीर पर ध्यान नहीं दे पाता जिसके कारण उसका वेट कम होने लगता है तथा उसे कई बीमारियाँ भी हो सकती है. मोटा होने के लिए तनाव को दूर करने की कोसिस करे.
    जंक फ़ूड से करे परहेज – अनेक लोग अपना वजन बढ़ाने के चक्कर में जंक फ़ूड का सेवन करने लगते है जो हमारे स्वस्थ्य के लिए सही नहीं होता. जंक फ़ूड से वजन तो बढ़ जाता है लेकिन जंक फ़ूड के सेवन से पाचन क्रिया का सिस्टम खराब हो जाता है और इससे शुगर और हार्ट सम्बन्धी रोग भी हो सकते है.
    दवाईयो से दूर रहे – अनेक लोग अपना वजन बढ़ाने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं. लगातार दवाइयों के सेवन से अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है तथा साइड इफ़ेक्ट भी हो जाते है. इसलिए हमेशा अपना वजन बढ़ाने के लिए दवाइयों की जगह पौष्टिक भोजन का उपयोग करना चाहिए जो स्वास्थ्य के आवश्यक होते है.


    Sunday 17 July 2016

    तनावमुक्ति और उपाय (depression and upay)

    आपने ऐसे लेख आदि पढ़े होंगे जिनमें दिनभर दबाव और तनाव में काम करने के बाद थकान कम करने के उपाय बताए गए होंगे. इन उपायों का लाभ निश्चित रूप से होता है लेकिन मेरे विचार से ऐसे लेख केवल उपाय बताते हैं और समस्या के मूल तक नहीं जाते. इस प्रकार उन उपायों से मिलने वाले लाभ सीमित हो जाते हैं.
    अपने दैनिक जीवन का निरीक्षण करके और कुछ आदतों को बदलकर आप सभी नहीं तो कुछ तनाव उत्पन्न करने वाले कारणों को कम कर सकते हैं
    आधुनिक जीवन में तनाव न हो यह संभव नहीं है. जीवन मिला है तो रोजमर्रा की परेशानियां भी मिली हैं. गरीब, मध्यवर्गीय, धनी, धनकुबेर – सभी किसी-न-किसी कारण से चिंतित रहते हैं और तनाव उनके शरीर को खोखला करता रहता है. समस्याओं की प्रतिक्रिया करने से तनाव उपजता है. तनाव जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है. हांलाकि मेरा यह मानना है कि हमारा ज्यादातर तनाव अवांछित होता है और इसे कुछ सरल और कुछ कम सरल उपाय अपनाकर कम किया जा सकता है. यह चुटकियों में संभव नहीं है – मुझे इसमें सालों लगे हैं और अभी भी मैं तनाव पैदा करने वाले सभी कारणों को दूर नहीं कर पाया हूं. यह लक्ष्य कठिन है लेकिन हासिल करने योग्य है.
    एक उदाहरण देखें – यह थोड़ा बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है लेकिन इससे हमारी तनावपूर्ण ज़िंदगी परिलक्षित होती है. आप सवेरे देर से उठते हैं, काम पर समय पर पहुंचने की जद्दोजहद करते हैं, हड़बड़ी में नाश्ता करते हैं, आपकी शर्ट पर चाय छलक जाती है, दाढ़ी बनाते समय छिल जाता है, बाहर निकलने पर याद आता है कि आप अपना मोबाइल या पर्स भूल आये हैं, और भी बहुत कुछ.
    अब आप भीड़ भरे ट्रेफिक में फंसे हुए हैं और आपका पारा धीरे-धीरे चढ़ता जा रहा है. कोई आपसे आगे गाड़ी निकालने की कोशिश करता है और आप उबल पड़ते हैं, आप हार्न बजाते हैं, कोसते हैं, झुंझलाते हैं. इस तरह आप बड़े बुरे मूड में काम पर पहुँचते हैं. आप ज़रूरी कागज़ तलाशते हैं और वह आपको नहीं मिलता, आपकी डेस्क पर सारी चीज़ें अस्तव्यस्त पड़ी हैं, आपका इनबॉक्स भी बहुत बुरी हालत में है, और आपको 25 ईमेल का उत्तर देना है. आप पहले ही कई असाइन्मेंट और प्रोजेक्ट्स में देरी कर चुके हैं और बॉस आपसे खुश नहीं है. 11 बजने से पहले आपको बहुत ज़रूरी 3 काम पूरे करने थे और 12 बज चुके हैं. काम करते-करते कब 2 बज गए पता ही नहीं चला. आपने अपना लंच मिस कर दिया.
    ये तो सिर्फ एक बानगी है. आप समझ गए होंगे की मैं क्या कहना चाहता हूँ. आपका दिन ठीक से नहीं गुज़रता. वापसी में भी आप वही ट्रेफिक झेलते हैं. घर पहुँचते-पहुँचते तक आप बेहद बेदम, हलाकान, लेट, और तनावग्रस्त हो जाते हैं. इसके बाद भी आपका ध्यान अगले दिन की ज़रूरी बातों पर लगा रहता है. आप टेबल और इनबॉक्स आप वैसी ही हालत में छोड़कर आये हैं. घर की हालत भी कोई बेहतर नहीं है. शायद घर के दुसरे सदस्यों की लाइफस्टाइल भी आपकी ही तरह की हो गई है इसलिए हमेशा खटपट होती रहती है. बच्चे अपनी चीज़ों को जगह पर नहीं रखते और आप उनपर चिल्लाते रहते हैं. टीवी देखते समय आप जल्दी में बनाया गया तला-भुना खाना खा लेते हैं और उनींदे होकर सोने चले जाते हैं.
    हो सकता है कि आपका रोजमर्रा का जीवन इतना बुरा न हो लेकिन इससे आपको उन बातों का पता तो चल ही गया होगा जिनके कारण लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. कारण तो और भी बहुत हो सकते हैं पर उनपर चर्चा बहुत लम्बी हो जायेगी.
    तनाव उत्पन्न करने वाले कारणों को कुछ समझ और विचारपूर्वक दूर किया जा सकता है. ये हैं उसके तरीके:-
    1 – तनाव को पहचानें यह सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. जो बातें आपको तनावग्रस्त करती हैं उन्हें यदि आप केवल पहचान ही लेंगे तो उन्हें दूर करने के उपाय करना आसान हो जायेगा. स्वयं को दस मिनट दें और सोचें कि आज आप तनाव में और दबाव में क्यों रहे. सप्ताह में ऐसा कितने बार होता है? कौन से लोग, गतिविधियाँ, बातें आपकी ज़िन्दगी को बोझिल बनाती हैं? टॉप 10 की एक लिस्ट बनायें और देखें कि क्या आप उनमें कुछ परिवर्तन ला सकते हैं या नहीं. एक-एक करके उन्हें सुधारते जाएँ और प्रयासरत रहें.
    2 – अनावश्यक संकल्पों को छोड़ दें हम अपने जीवन में कई सारे संकल्प करते हैं – हमें यह करना है – हमें वह करना है. पत्नी, बच्चे, कामकाज, घर-गृहस्थी, समाज, धर्म, शौक, और ऑनलाइन गतिविधियों से जुड़े कई सारे संकल्पों को हम पूरा करने में लगे रहते हैं. इनमें से प्रत्येक की समीक्षा करें. क्या ऐसा कुछ है जो अच्छे परिणाम की अपेक्षा तनाव देता है. इस कार्य को निर्ममतापूर्वक करने की ज़रुरत है. जो कुछ भी आपके शुख-शांति के रास्ते में आता है उसे बेवज़ह ढोने में कोई तुक नहीं है. उस संकल्प को पहले दूर करें जो ज्यादा तनाव देता हो.
    3 – टालमटोल करने की प्रवृत्ति छोडें हम सभी ऐसा करते हैं. इसके कारण काम का दबाव बढ़ता जाता है. ‘अभी ही करना है’ की आदत डाल लें. अपने इनबॉक्स और टेबल को साफ़ रखें.
    4 – व्यवस्था लायें  कुछ हद तक सभी व्यक्ति अव्यवस्था के बीच रहते हैं. यदि हम व्यवस्था बनाये रखने का प्रयास करें और इसमें प्रारंभ में सफल हो भी जाएँ तो भी अव्यवस्था को जगह बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता. अपने माहौल में अव्यवस्था रखने से तनाव बढ़ता है. इससे हमें चीज़ें तलाशने में देर लग जाती है और कामकाज में बाधा आती है. अपने परिवेश में व्यवस्था लायें. शुरुआत अपनी टेबल और दराज़ से करें. घर के किसी एक कोने से शुरुआत करें. पूरे घर को दुरुस्त करना ठीक न होगा. छोटे से हिस्से से शुरुआत करें और व्यवस्था को वहां से आगे फैलने दें.
    5 – जल्दी उठें – देर से उठना कई परेशानियों की जड़ है. किसी दिन 15 मिनट देर से उठें तो पाएंगे की रोजमर्रा के सभी काम करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. कामकाज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. जल्दी उठने की आदत डालें. इसी के साथ जल्दी सोने की आदत भी डालनी चाहिए. काम पर जल्दी निकालने से आप ट्रेफिक की समस्या से बच जाते हैं और ड्राइविंग में मज़ा भी आता है. यह जांचें की आपको तैयार होने में कितना समय लगता है और कहीं पहुँचने में कितना समय लगता है. इस समय को कम करके न आंकें. एक छोटा सा अंतराल भी बड़ा बदलाव ला सकता है. सिर्फ दस मिनट का परिवर्तन लाकर देखें. आपको फर्क पता चलेगा.
    6 – दूसरों को नियंत्रित न करें  याद रखें, हम सारी दुनिया के मालिक नहीं हैं. हम चाहते तो हैं कि ऐसा होता लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम ऐसा ख्याल ही अपने मन में पाल लें. हम चीज़ों और लोगों को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं और इसमें सफल नहीं हो पाते. इससे तनाव बढ़ता ही है. दूसरी चीज़ें जैसी घटित होती हैं और दूसरे लोग जैसे काम करते हैं उसे स्वीकार कर लें. यह भी स्वीकार कर लें कि अलग-अलग परिस्थितियों में चीज़ें एक ही तरह से नहीं होतीं. धयान रखें, आप केवल स्वयं पर ही नियंत्रण रख सकते हैं. इसीलिए दूसरों को नियंत्रित करने से पहले स्वयं को काबू में रखने का काम करें. यह भी सीखें कि स्वयं पर काम थोपने के बजाय आप दूसरों से भी उसे करवा सकते हैं. हममें दूसरों को अपने अधीन रखने कि अदम्य इच्छा होती है. इससे बचने में ही हमारी भलाई है. यह जीवन को तनावमुक्त रखता है.
    7 – मल्टीटास्किंग बंद करें – मल्टीटास्किंग का अर्थ है एक साथ कई काम करना, जैसे कम्प्युटर कर लेता है. कई लोग इसे बहुत बड़ा गुण समझते हैं लेकिन हकीकत में इसके नुकसान अधिक हैं. यह हमारी काम करने की गति को सुस्त और बाधित कर देता है. इससे काम के ज़रूरी पक्षों से ध्यान हट भी सकता है. यह तनाव बढ़ाता है. एक वक़्त में एक ही काम करें.
    8 – ऊर्जा का क्षय रोकें – यदि आपने पहली स्टेप में बताये अनुसार तनाव उत्पन्न करनेवाले कारणों की पहचान की है तो आपने शायद ऐसे काम भी नोट किये होंगे जो आपकी ऊर्जा को सिर्फ नष्ट करते हैं. कुछ काम ऐसे होते हैं जिनमें दूसरे कामों कि अपेक्षा ज्यादा ऊर्जा और समय लगता है. उन्हें पहचानें और हटायें. जिंदगी बेहतर जीने के लिए भरपूर ऊर्जा का होना जरूरी है.
    9 – मुश्किल लोगों से दूर रहें क्या आप उन्हें जानते हैं? ये लोग हैं आपके बौस, कलीग, कस्टमर, दोस्त, परिजन, आदि. कभी-कभी ये ही हमारी ज़िन्दगी को मुश्किल बना देते हैं. उनसे लड़ना ठीक न होगा इसलिए उन्हें टालने में ही भलाई है.
    10 – सरलीकरण करें अपनी दिनचर्या को सरल-सहज करना बहुत ज़रूरी है. अपने संकल्प, सूचना-व्यवस्था, आवास और कार्यस्थल, और जीवन में घटित हो रही बातों को सरल बनाना ज़रूरी है. इसके अच्छे परिणाम होते हैं. इसके लिए इसी ब्लौग पर कुछ और लेखों में सुझाव बताये गए हैं.
    11 – स्वयं को समय दें – स्वयं को थोडा अधिक समय देने का प्रयास करें. ज़रूरी नहीं है कि हर काम घड़ी देखकर किया जाए. समय की कमी हो तो मीटिंग टाल दें. यदि फोन या ई-मेल से बात बनती हो तो मिलने की क्या ज़रुरत है? यदि यह संभव न हो तो मीटिंग का कोई वक़्त फिक्स न करें. लोगों से कहें कि वे आपको फोन करके पूछ लें कि आप फ्री हैं या नहीं. इस तरह कभी-कभार बचने वाले थोड़े-थोड़े समय को स्वयं को देने में या पसंदीदा काम करने में लगायें.
    12 – धीरे करें – आपाधापी में लगे रहने के बजाय थोडी कम रफ़्तार से काम करने में चीज़ें बेहतर तरीके से होती हैं. आननफानन टाइप करके बाद में गलतियाँ सुधारने से बेहतर है कि धीरे टाइप करें. खाने का लुत्फ़ उठायें, लोगों से मन बहलायें, दुनिया देखें. तनाव दूर करने में यह टिप बड़ी कारगर है.
    13 – दूसरों की मदद करें  यह टिप विरोधाभासी नहीं है. यह न सोचें कि आप तो वैसे ही काम के बोझ तले दबे हुए हैं और दूसरों कि मदद करके तो आपका कचूमर ही नक़ल जायेगा. दूसरों की मदद करने से, स्वयंसेवक के बतौर काम करने से, या चैरिटी संगठन में काम करने से आप भीतर से बहुत अच्छा अनुभव करते हैं और यह आपका तनाव दूर करता है. यदि आप दूसरों पर नियंत्रण ही करना जानते हैं तो यह आपके लिए कुछ मुश्किल होगा. यदि आप इसे बहुत सरसरे तरीके से करते हैं तो इसका लाभ आपको न मिलेगा. इसे सहजता और सद्भावना से करें. दूसरों का जीवन बेहतर होगा तभी आपका जीवन बेहतर बनेगा.
    14 – ज़रा सा आराम करते चलें  कामकाज के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लेना सही रहता है. यदि आप दो घंटों से काम में भिडे हुए हैं तो जरा ठहरें. अपने कन्धों और बांहों को आराम देने के लिए फैलाएं. टहलें, पानी पियें. बाहर जाएँ, खुला आसमान देखें, ताजी हवा में साँस लें. किसी से बात करें. रचनात्मकता अच्छी बात है लेकिन जीवन उससे ज्यादा कीमती है. अपनी ऑनलाइन गतिविधियों पर भी थोड़ा नियंत्रण रखें.
    15 – काम छोड़ दें  यह भयावह टिप है. इसे कर पाना सबके बस की बात नहीं है. सच कहूँ तो आपका कामकाज या नौकरी  आपके तनाव का सबसे बड़ा कारण है. यदि आपको आर्थिक मोर्चे पर कुछ सुरक्षा हासिल है तो ज़रा सोचें – क्या आप नौकरी के बदले कुछ ऐसा कर सकते हैं जो आप सदैव करना चाहते थे. यदि आप ऐसा कर पाते हैं तो आपके जीवन में एड़ी से चोटी तक परिवर्तन आ जायेगा. केवल यही टिप आपका तनाव ९०% तक कम कर सकती है. इसे यूँ ही टालने की बजाय गंभीरता से लें – शायद ऐसी कई संभावनाएं हों जिनकी ओर आपका ध्यान नहीं गया हो.
    16 – ज़रूरी कामों की लिस्ट बनायें – क्या इसके बारे में भी विस्तार से बताना पड़ेगा? ज़रूरी कामों को प्राथमिकता के आधार पर करने के लिए एक लिस्ट बना लेना चाहिए और उसके अनुसार काम करना चाहिए.
    17 – कसरत करना – इसके कई लाभ हैं. शारीरिक और मानसिक स्तर पर यह बहुत प्रभावशील है. यह शरीर को फिट रखने के साथ-साथ तनाव से भी कुशलता से निपटती है. एक स्वस्थ और फिट व्यक्ति थकान और दबाव का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है. दूसरी ओर, अस्वस्थ होना स्वयं में बहुत बड़ा घाटा है. कसरत हमें रोग और तनाव से दूर रखती है.
    18 – अच्छा खाएं – यह कसरत करने जितना, बल्कि उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है. सम्यक, संतुलित, और सात्विक आहार शरीर और मन को पुष्ट करता है. तला हुआ चटपट खाना हाजमे को ख़राब करता है और शरीर को बोझिल बनाता है.
    19 – आभारी बनें – यदि आप दूसरों का आभार व्यक्त करते हैं तो इसके सकारात्मक परिणाम होते हैं. आपके जीवन से ऋणात्मक सोच बाहर निकलती है. दूसरे भी आपकी इस क्रिया से अच्छा अनुभव करते हैं. अपने जीवन में आपने जो कुछ भी पाया है और जिन व्यक्तियों का साथ आपको मिला है उसे उपहार मानकर उसके लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करें. जीवन के प्रति इस प्रकार का दृष्टिकोण रखकर आप अपने जीवन में सुख और शांति के आने का मार्ग प्रशस्त करेंगे. यह आत्मिक समृद्धि का सूत्र है.
    20 – ज़ेन जैसे परिवेश का निर्माण – ऊपर बताये गए अनुसार अपनी टेबल और दराज़ को व्यवस्थित करने का प्रयास करें. ऐसा करने के बाद उस व्यवस्था को और दूसरे स्थानों की ओर फैलने का अवसर प्रदान करें जब तक आपके इर्दगिर्द सरल, शांत, ज़ेन जैसे परिवेश का निर्माण न हो जाए. ऐसे परिवेश में जीने और काम करने से जीवन में अतुलनीय शांति और रचनात्मकता आती है और तनाव और दबाव कोसों दूर हो जाते हैं.

    Saturday 16 July 2016

    मानव शरीर से संम्बंधित रोचक तथ्य(Interesting facts about human body in hindi)

    1. हर मनुष्य अपने जीवन काल में लगभग 60,566
    लीटर पानी पी जाता है.
    2. मनुष्य के शरीर के एक इंच वर्ग के क्षेत्र में 3 करोड़
    20 लाख बैकटीरीया होते हैं.
    3. 45 प्रतीशत लोग हर रोज mouthwash करते है.
    4. लगभग 9 प्रतीशत लोग रोज
    अपना नाशता नही करते.
    5. 90 प्रतीशत लोग सवेरे उठने के लिए अलार्म
    घड़ी पर निर्भर रहते हैं.
    6. लगभग हर मनुष्य को सोने के लिए 7 मिनट लगते
    हैं.
    7. हम अपनी 33% जिन्दगी सिर्फ सौते हुए
    बिता देते हैं.
    8. आप बोलते समय 72 किस्म की भिन्न-भिन्न
    मास्पेशीयां उपयोग करते है.
    9. जो लोग रात को काम करते है उनका वजन साधारण
    से ज्यादा होता है.
    10. लगभग हर साल 2,500 left-handed लोग ऐसे
    उपकरणों का इस्तेमाल करने से मारे जाते हैं
    जो कि Right-handed लोगों के लिए बनाए जाते
    हैं.
    11. लोग हर साल शार्को के हमला करने से
    ज्यादा नारीयल सिर पर गिरने से मारे जाते हैं.
    12. मनुष्य की आँख एक मिनट में 25 बार झपकती है.
    13. औसतन हर मनुष्य अपने जीवन का एक साल इधर-
    उधर रखी हुई चीजों को ढुढने में लगा देता है.
    14. लगभग औसतन इन्सान Keyboard से टाईप करते
    समय अपने left hand का 56% use करता है.
    15. मोबाइल का लगातार उपयोग करने वाला इन्सान एक
    साल में 1100 कॉल करता है.
    16. लगभग 75% लोग सिर पर पानी डालकर नहाना शुरू
    करते हैं.
    17. एक मनुष्य अपने जीवनकाल में 27,000
    किलोग्राम तक भोजन खा जाता है जो कि 6
    हाथीयों के वजन के बराबर होता है.
    18. लगभग 20 लाख मरने वाले लोगों में से एक की मौत
    bed से नीचे गिरने से होती है.
    19. Kiss करने से ज्यादा हाथ मिलाते समय gurms एक
    हाथ से दुसरे पर जाते हैं.
    20. सालाना 4 लोग अपनी पैंट बदलते समय अपनी जान
    गवा देते हैं.
    21. ज्यादातर लोगो के रोजाना 50 से 100 बाल झड़ जाते
    हैं. पर सवाल तो यह है कि वह जाते कहा हैं?
    22. संसार में 2% से भी कम लोग है
    जो कि अपनी कुहनी चाट सकते हैं.
    23. मानव दाँत चट्टानों जितने कठोर होते हैं.
    24. विश्व की 7 अरब आबादी में सिर्फ 4 लोग ऐसे है
    जो कि 116 से ज्यादा की उम्र जी रहे हैं.
    25. एक औसतन मनुषय के लिए अपनी ही कुहनी चाट
    पाना असंभ्व है.
    26. छीकते समय आँखे खुली रख पाना नामुनकिन है
    और छीकते समय दिल की गती एक मिली सेंकेड
    के लिए रुक जाती है.
    27. अगर आप जोर से छीके तो आप
    अपनी पसली तुडवा सकते हैं.
    28. अगर आप छीकते वक्त अपनी आँखे जोर से
    खुली रखने की कोशिश करे तो आप की eyeball
    (डेला) तिडक सकता है.
    29. सिर्फ एक घंटा हेडफोन लगाने से हमारे कानो में
    जीवाणुयों की तादाद 700 गुना बढ़ जाती है.
    30. अगर आप अपना सिर एक दीवार से लगाकर दबाब
    लगाए तो आप एक घंटे में अपनी 150 कैलौरी खर्च
    करते हैं.
    31. पूरे जीवन काल के दौरान नीद में आप भिन्न-
    भिन्न तरह के 70 कीट और 10 मकडीयाँ खा जाते
    है.
    32. आपका दिल एक दिन में लगभग 100,000 बार
    धडकता है.
    33. आप के शरीर की लगभग 25 फीसदी हड़डियाँ आप
    के पैरों में होती हैं.
    34. ऊगलियों के नाखुन पैरों के नाखुनों से 4
    गुना ज्यादा जलदी बढ़ते हैं.
    35. आप 300 हड़डियों के साथ जन्म लेते है., पर 18
    साल तक होतो-होते आप की हड़डियाँ जुड़ कर
    206 रह जाती हैं.
    36. एक औसतन इंन्सान दिन में 10 बार हसता है.
    37. अगर आप 8 साल, 7 महीने और 6 दिनों तक
    चिल्लाएँ तब आप एक कप कौफी बनाने के लिए
    जरूरी ताप की मात्रा प्रापत कर लेगें.
    38. हमारे शरीर में सबसे ताकतवर मासपेशी हमारी जीभ
    है.
    39. जो लोग इस को पढ़ रहे है उन में से 75 % से
    ज्यादा लोग अपनी कुहनी चाटने की कोशिश करेगे.
    40. हमारे मानव दिल में बहुत शक्ति होती है और यह
    बहुत ही अधिक दबाब से खून पंप करता है. अगर मान
    ले कि हमारा दिल हमारे शरीर बाहर खून पंप करे
    तो यह खून को 30 मीटर ऊपर उछाल सकता है.
    41. एक साल में आपके शरीर
    की मासपेशीयाँ 50,00,000(50 लाख) बार हरकत
    करतीं है.
    42. आप अपने आप को सांस रोक के नही मार सकते
    ऐसा मुशकिल होता है क्योंकि हमारी सास
    वाली मासपेशीयाँ हमारे द्वारा किए गए कंटरोल से
    अधिक ताकतवर होती है.
    43. मानव की जंघा (thigh) की मासपेशीयाँ कंक्रीट से
    ज्यादा ताकतवर होती है.
    44. आपका पेट हर दो हफते में बलगम की एक नयी परत
    बनाता है और इसे खुद ही पचा जाता है.

    Friday 15 July 2016

    मोटापा कम करने के 7 योगासन

    शरीर अगर स्वस्थ हो तो ज़िंदगी जीने का मज़ा ही कुछ और होता है। अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना हर इन्सान का प्राथमिक कर्तव्य है, लेकिन दुर्भाग्यवश बहुत कम ही लोग समय रहते अपनी health की ओर ध्यान देते हैं। नतीजतन वे समय से पहले ही तमाम रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। और ऐसे ही health issues में एक परेशानी जो काफी आम होती चली जा रही है वो है मोटापा। आज तमाम लोग अपने बढे हुए weight के कारण परेशान हैं, in fact लोग इतना परेशान हैं कि weight loss को लेकर हजारों करोड़ की industry खड़ी हो गयी है
    हमारी प्राचीन संस्कृति में कई लाभदायक योगासन बताए गए हैं जिस के नित्य प्रयोग से शरीर स्वस्थ और आकर्षक बन सकता है और इन योग क्रियाओं  से शरीर का वज़न भी कम किया जा सकता है। संतुलित आहार और योगासन की मदद से आप अपना जीवन एक नयी ऊर्जा से भर सकते हैं। आइये देखते हैं इन योगासनों को:

    कपालभाती प्राणायाम / Kapalbhati Pranayama

    कपालभाती करने का तरीका–
    इस योगासन को करने के लिए स्वच्छ, शांत और खुले वातावरण वाली जगह का चयन करें। फिर एक चटाई जैसा आसन लगा कर सामान्य मुद्रा में बैठ जाएँ। बैठे बैठे ही अपने दाएँ पैर को बायी जंघा के ऊपर और बाए पैर को दायी जंघा के नीचे लगा लें। यह आसन जमाने के बाद, साँसों को बाहर छोड़ना होता है, और पेट को अंदर की और धकेलना होता है। इस क्रिया को सुबह के समय पाँच मिनट करना चाहिए।
    कपालभाती प्राणायाम करने के लाभ –
    पेट की चरबी घटाने के लिए यह एक रामबाण उपाय है। इस आसन को करने से शरीर का वज़न कम होता है। इस गुणकारी आसन के प्रभाव से मोटापा घटाने में तो मदद मिलती ही है पर, उसके साथ साथ चहेरे की सुंदरता में भी निखार आता है। अगर किसी को आँखों के नीचे dark circles हो जाने की शिकायत रहती हो तो उन्हे कपालभाती आसन रोज़ करना चाहिए। पेट की तकलीफ़ों से पीड़ित व्यक्ति भी कपालभाती कर के पेट के रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। कब्ज़, पेट दर्द, खट्टी डकार, एसिडिटी और अन्य प्रकार की पेट की बीमारियाँ कपालभाती करने से खत्म हो जाती हैं। कपालभाती करने से शरीर में positive ऊर्जा का संचार होता है और यादाश्त भी बढ़ती जाती है। कपालभाती गले से जुड़े हर रोग को नष्ट कर देता है।
    कुछ और ज़रूरी बातें:
    ⦁ कपालभाती आसन सुबह में करना अत्यंत गुणकारी है।
    ⦁ पेट साफ कर लेने के बाद (शौच के बाद) ही कपालभाती आसन करना चाहिए।
    ⦁ कपालभाती आसन खाली पेट करना चाहिए और इसे करने के बाद आधे घंटे तक कुछ भी ना खाएं।
    ⦁ सारण गाठ के रोगी, प्रेग्नेंट महिलाएं और गैस्टिक अल्सर के दर्दी इस आसन को ना करें।
    ⦁ शरीर में किसी भी प्रकार का ऑपरेशन कराया हो तो उन्हे डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही यह आसन करना चाहिए।

    अनुलोम विलोम प्राणायाम /Anulom Vilom Pranayama

    अनुलोम विलोम करने का तरीका
    किसी अच्छी जगह का चुनाव कर के आसन जमा लें। सामान्य मुद्रा में बैठ कर अपने पैर क्रॉस कर के मौड़ लें (पालथी लगा लें / जैसे खाना खाने ज़मीन पर बैठ ते हैं वैसे)। अब अपने दाए हाथ को दाए घुटने पर आराम से टीका दें, और बाए हाथ के अंगूठे से नाक का बाया छिद्र बाधित करें, और दाए छिद्र से गहरी साँस अंदर लें। फिर बाया छिद्र मुक्त करें और दाया छिद्र बाधित करें और अंदर ली हुई साँस बाए छिद्र से बाहर निकालें। इस प्रक्रिया को कम से कम दस से पंद्रह बार दोहराएँ।
    अनुलोम विलोम करने के लाभ –
    इस प्राणायाम को नाड़ी शोधन आसन भी कहा जाता है। अनुलोम विलोम शरीर में blood circulation दुरुस्त रखने में मददगार होता है। मानव शरीर में सब से ज़्यादा चरबी, पेट, कमर और जाँघों के आसपास जमा होती है। इस आसन के प्रभाव से पेट अंदर हो जाता है। पेट की चरबी भी घट जाती है। अनुलोम विलोम से शरीर में फुर्ती महसूस होती है, साथ ही शरीर का अतिरिक्त वज़न भी काबू में आ जाता है।

    नौकासन योग  / Naukasan Yogasana 

    सब से पहले आसन जमा लें, ओर आकाश की ओर मुंह कर के पीठ के बल सीधे लेट जाएँ। हाथों को सीधा कमर से सटा कर रखें, और अपनी हथेलियों को ज़मीन की और रखे। अब धीरे धीरे अपनी गरदन ऊपर की और ले जाएँ और अपने हाथ सीधे रख कर ही गर्दन के समान ऊपर उठाएँ और साथ साथ उसी समान अपने पैर भी उठाएँ और एक नौका का रूप लें। इसी मुद्रा में आप करीब पच्चीस से तीस सेकंड बने रहें। फिर धीरे धीरे सामान्य मुद्रा में चले जाएँ। नौकासन को दो से तीन बार दोहराएँ।
    (Note – शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द होने पर या, सामान्य से अधिक खिचाव महसूस होने पर तुरंत सामान्य अवस्था में लौट जाएँ।)
    नौकासन के लाभ 
    पेट और नाभी के आसपास के भाग को सुडौल बनाने के लिए यह एक गुणकारी आसन है। इस आसन के प्रभाव से हमारी पाचन प्रणाली भी मज़बूत होती है। जब खाना ठीक से पाचन होता है तो शरीर में एक्सट्रा फैट जमा नहीं होता है और वज़न भी काबू में रहेता है। नौकाआसन करने से हमारी शरीर की छोटी आंत और बड़ी आंत को व्यायाम मिलता है। इस आसन को नित्य करने से आंतों से जुड़ी बीमारियाँ होने का खतरा नहीं रहेता है। और अगर किसी को आंतों से जुड़े रोग हैं तो वह व्यक्ति डॉक्टर की सलाह के बाद नित्य, नौकाआसन कर के आंतों के रोगों से मुक्ति पा सकता है।
    कुछ और ज़रूरी बातें:
    ⦁ कमर से जुड़ी किसी भी प्रकार की तकलीफ से पीड़ित व्यक्ति, इस आसन का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बिना बिलकुल ना करें।
    ⦁ पेट से जुड़ी गंभीर बीमारीयों के रोगी को इस आसन का प्रयोग किसी चिकित्सक की सलाह अनुसार ही करना चाहिए।
    ⦁ यह आसन गर्भवती महिलाओं के लिए बिलकुल वर्जित है।

    बालासन योग / Balasana Yoga

    बालासन करने का तरीका
    बालासन balasanaसर्वप्रथम आसन जमा लें, फिर घुटनों को पीछे की ओर मौड़ कर घुटनों के बल बैठ जाएँ। ऐडियों पर शरीर का वज़न बनाते हुए, और साँस अंदर लेते हुए आगे की और झुकें। अब आप के हाथ सीधे होने चाहियेँ और हथेलियाँ ज़मीन की और लगी होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करें की आप की छाती आपकी जांघों और घुटनों के अग्र भाग को छुनी चाहिये। साथ ही आप का मस्तक ज़मीन को छूना चाहिये। इस आसन को तीन से पाँच मिनट करें फिर थोड़ा आराम लें और इस आसन को चार से पाँच बार दोहराएँ।
    बालासन करने के लाभ 
    यह आसन तेज़ी से वज़न कम करने के लिए काफी उपयोगी है। पेट, कमर और जांघों की चरबी इस आसन से तुरंत कम होने लगती है। बालासन के नित्य प्रयोग से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं। अगर पेट की तोंद बाहर निकली हुई है, और नाभी शर्ट के बटन से बाहर जांकने लगी है तो बालासन आप की यह समस्या कुछ ही दिनों में दूर कर देगा। इस आसन को रोज़ दिन में सुबह के समय पाँच से दस मिनट करने से पेट तुरंत अंदर होने लगेगा।

    योगा साइकलिंग / Yoga Cycling in Hindi

    योगा साइकलिंग करने का तरीका
    आसन बिछा कर पीठ के बल सीधे लेट जाएँ। आप का मुख आकाश की ओर होना चाहिये। अब अपने दोनों पैर ज़मीन से ऊपर उठा लें। जैसे आप real साइकल चलाते है ठीक वैसे ही गोल गोल पेडल हवा में चलाने लगें। याद रहे की यह आसन करते समय आप के दोनों हाथ सीधे ज़मीन से लगे होने चाहिये और हथेलियाँ ज़मीन की और होनी चाहिये। थोड़ी देर सीधी साइकलिंग करें, फिर उतनी ही देर तक उल्टी पेडलिंग करते हुए साइकलिंग करें। इस कसरत को सुबह के समय दस से पंद्रह मिनट तक करें। अधिक थकान महसूस होने पर बीच-बीच में break ले कर सामान्य मुद्रा में लेट कर आराम कर लें।
    योगा साइकलिंग करने के लाभ
    यह कसरत पैरों की चरबी दूर करती है। योगा साइकलिंग करने से घुटनें मज़बूत होते हैं। और इस कसरत से हमारे abdominal muscles काफी strong बनते हैं। योगा साइकलिंग से पेट में गेस की तकलीफ भी दूर होती है, और पेट में जमी चरबी भी कम हो जाती है।

    सेतुबंध आसन / Setubandh Asana in Hindi

    सेतुबंध आसन करने का तरीका
    सेतुबंध आसन setubandh asanaसर्वप्रथम आसन जमा कर पीठ के बल लेट जाएँ। मुख को आकाश की और रखे। उसके बाद अपनें दोनों घुटनों को एक साथ मौड़ कर दोनों पैरों के तलवों को ज़मीन पर अच्छे से जमा लें। अपने दोनों हाथ सीधे रख कर ज़मीन पर लगा लें। अब साँस बाहर निकालते हुए रीड़ की हड्डी की ज़मीन की और धीरे से दबाएँ। अब गहरी साँस अंदर भरते हुए अपनें पैरों को ज़मीन पर दबाएँ। अब अपने कमर के भाग को जितना हो सके उतना ऊपर की और उठाएँ। इस अवस्था में करीब एकाद मिनट तक रहें फिर साँस बाहर छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में लेट जाएँ।
    सेतुबंध आसन करने के लाभ
    इस आसन से शरीर की रीड की हड्डी मज़बूत होती है और सीधी होती है। कमर के भाग के लिए यह एक उत्तम कसरत है। सेतुबंध आसन मेरुदंड (spine) लचीला बन जाता है। इस आसन से गरदन तनाव मुक्त हो जाती है। शरीर की मांसपेशियाँ मज़बूत करना और पेट की अतिरिक्त चरबी दूर करना इस आसन के प्रमुख गुण हैं।

    सूर्य नमस्कार / Surya Namaskar Yogasana in Hindi

    सूर्य नमस्कार surya namaskarसूर्य नमस्कार करने वाले व्यक्ति को और कोई आसन करने की आवश्यकता नहीं रहती है। यह एक सम्पूर्ण व्यायाम है। इसीलिए इसे सभी व्यायामों का आधार बता कर यहाँ सूची के अंत में लिखा है।
    सूर्य नमस्कार करने का तरीका
    इस व्यायाम को बारह चरणों में किया जाता है:
    • सर्व प्रथम दोनों हाथ जोड़ कर सीधे खड़े रहें। साँस अंदर लेते हुए दोनों हाथों को प्रार्थना मुद्रा में जोड़ने के लिए उठाएँ। अब दोनों हाथ जोड़ते ही साँस बाहर छोड़ें।
    • दूसरे चरण में अपने दोनों हाथों को सीधे रखते हुए ऊपर की और ले जाएँ, और हो सके उतना पीछे की ओर मोड़ें। ध्यान रहे की कमर का संतुलन बना रहे। जब आप इस दूसरे चरण में हों तब साँस अंदर लें।
    • तीसरे चरण में साँस बाहर छोड़ते हुए आगे की और झुकें और अपने दाए हाथ को दाए पैर के पास हथेली ज़मीन की और कर के लगाएँ। और बाए हाथ को बाए पैर के पास हथेली ज़मीन की और कर के लगाएँ। इस मुद्रा में भी थोड़ी देर खड़े रहें।
    • अब साँस अंदर लेते हुए अश्व संचालन मुद्रा में आ जाईए। अपना right वाला पैर आगे करते हुए मुड़े घुटने के साथ ही दोनों हाथों के बीछ ले आयें। अब left वाले पैर का घुटना ज़मीन से लगा लें और अपने सिर को हो सके उतना ऊपर आकाश की और उठाने का प्रयत्न करें। इस मुद्रा में थोड़ी देर बने रहें।
    • अब साँस अंदर लेते हुए दंड आसन मुद्रा में आ जाएँ। यानि कि अपना right वाला पैर पीछे ले जाएँ। दंड आसन में आप का पूरा शरीर सपाट मुद्रा में होना चाहिये, और आप के पूरे शरीर का भार हाथों और पैरों के पंजों पर होना चाहिये। इस मुद्रा में मुख सामने की और होना चाहिये। थोड़ी देर ऐसे ही बने रहें।
    • छठवे चरण में साँस बाहर छोड़ते हुए अष्टांग आसन में आ जाएँ। इस आसन को यह नाम इस लिए दिया गया है चूँकि इस मुद्रा में पैर के दो पंजे, दो घूंटने, छाती, दो हाथ और ठुड्डी (दाढ़ी), कुल आठ अंग ज़मीन से लगे होते हैं। इन आठ अंगों के अलावा कोई अंग ज़मीन को ना छूए इस तरह यह मुद्रा धारण करें। इसी अवस्था में कुछ देर बने रहें।
    • सातवे चरण में अब साँस अंदर लेते हुए भुजंग आसन में आ जाएँ। इस आसन को अंग्रेजी में कोब्रा आसन भी कहा जाता है। भुजंग आसन में पैर के पंजे ज़मीन पर लगे होते हैं, दोनों हाथ की हथेलियाँ जमीन पर लगी होती हैं और घुटनों से ले कर नाभी तक का भाग भी ज़मीन से लगा होता है। भुजंग आसन में हाथों के पंजों के बल पर, दोनों कोहनियों को थोड़ा मोड़ कर छाती को ऊपर उठाते हुए, मुख को आकाश की और उठाना होता है।
    • अब साँस बाहर छोड़ते हुए पर्वत आकार मुद्रा में आ जाएँ। इस मुद्रा में हाथों और पैरों के पंजे ज़मीन पर लगे होते हैं। मुख ज़मीन की और हाथों की सीध में होता है।
    • नौवे चरण में फिर से अब साँस अंदर लेते हुए अश्व संचालन मुद्रा में आ जाईए। इस बार अपना left वाला पैर आगे करते हुए मुड़े घुटने के साथ ही दोनों हाथों के बीछ ले आयें। अब right वाले पैर का घुटना ज़मीन से लगा लें और अपने सिर को हो सके उतना ऊपर आकाश की और उठाने का प्रयत्न करें। इस मुद्रा में थोड़ी देर बने रहें।
    • दसवे चरण में साँस बाहर छोड़ते हुए आगे की और झुकें और हस्त पादआसन मुद्रा में आ जाएँ। यानि अपना right वाला पैर आगे ले आयें और अपने दाए हाथ को दाए पैर के पास, अपनी हथेली ज़मीन की और कर के दें। और बाए हाथ को बाए पैर के पास अपनी हथेली ज़मीन की और कर के लगा दें। इस मुद्रा में भी थोड़ी देर खड़े रहें।
    • ग्यारहवे चरण में साँस अंदर लें और हस्त उत्थान आसन में जाएँ। यानि की बिलकुल दूसरे चरण वाली मुद्रा में आ जाएँ। हाथ ऊपर की और कर के हो सके उतने पीछे की और ले जाएँ। कमर का संतुलन बनाए रखें। थोड़ी देर इस मुद्रा में स्थिर रहें।
    • बारह वे चरण में तड़ासन मुद्रा में आ कर सूर्य नमस्कार व्यायाम पूर्ण करें। तड़ासन में साँस बाहर छोड़ते हुए हाथ सीधे रख कर, मुख को सामने की और रख कर खड़ा होना होता है। इस आसन में शरीर भी सीधा रखें।